दलित जीवन अभी अंधेरे में........
दलित जीवन अभी अंधेरे में........ हमारे समाज में दलितों का जीवन नीचता में ही उलट-पलटकर दिखाई दे रहा है। दलित उतनी प्रगति अभी तक प्राप्त नहीं कर पायी हैं जितनी महात्मा ज्योतिबा फूले,बाबा साहब अंबेड्कर जैसे महात्माओं ने कांक्षित हैं। शिक्षा के क्षेत्र में दलितों की प्रगति बहुत पिछड़े हैं। गाँवों एवं देहातों में दलितों की पढ़ाई खोया खोया सा दिखाई देता है। दलितों की आर्थिक पुष्टि के अभाव के कारण माता-पिता दोनों मजदूरी केलिए निकलना पड़ता है। अपने बच्चों के देख-रेख की कमी की वजह से,माँ-बाप शराब का शिकार होना,दोनों झगड़े करते रहना उन बच्चों केलिए अभिशाप बन गया। उन बच्चों में अनुशासन हीनता एवं आत्म ग्लानी का शिकार होना पड़ रहा है। सामाजिक संप्रदायों का पालन दलितों को अछूतेपन से लिपटा जा रहा है। अन्य सवर्णों की तरह पैसे कमानेवाले भी सांप्रदायिक धंधों से जुड़े रहने से उनका मान-मर्यादा नीचा ही रहा है। आँध्र प्रांत में गंगम्म जातरा पोलेरम्माजातरा, अंकालम्मा जातरा,मारम्मा जातरा ( गंगम्मा,पोलेरम्मा,अंकालम्मा देवियाँ मानी जाती हैं,वे सुख-समृद्धि पहुँचानेवाली मानी जाती हैं।) जैसी देवियों के उ