वैश्वीकरण के दौर में हिंदी पैड़ाला रवींद्रनाथ श्री. वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय तिरूपति, आँध्रप्रदेश । वैश्वीकरण के दौर में हिंदी आज हम वैश्वीकरण की दुनिया में हैं। वैश्वीकरण शब्द अँग्रेजी के ग्लोबलैजेशन शब्द का पर्याय शब्द है। यह दो शब्दों से बना है विश्व + एकीकरण इसका अर्थ है एक छत के नीचे आकर एक दूसरे की मदद करना। देश की अर्थ व्यवस्था को विश्व की अर्थ व्यवस्था के साथ जोड़ना ही वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया जो है वह बहुत प्राचीन काल की है, इसको हम हड़प्पा सभ्यता के साथ जोड़ते हैं। आधुनिक वैश्वीकरण 1990 के आस- पास से माना जाता है। इस आधुनीकीकरण में लोगों के बीच में न केवल व्यापार का होता है बल्कि अपनी भाषा, खान - पान, आचार- विचार, रहन – सहन आदि का आदान – प्रदान होता है। वैश्वीकरण के दौर में हिंदी की स्थिति पर हम विचार करेंगे। हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा, राज भाषा एवं संपर्क भाषा है। सबसे पहले हम इन तीनों शब्दों के अर्थ को भली – भांति समझना आवश्यक है। राष्ट्रभाषा माने देशभाषा, देश में बोली जानेवाली भाषा है। वास्तव में भारत के सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ हैं।