मेरा जीवन
मेरा जीवन मेरे मन की आशा - आकांक्षाएँ .. जाति ने बरबाद किया है. पैसे का अभाव मुझे झुका दिया.. सबके सामने झुका दिया. सबको मानने को तैयार किया. मेरी सोच का कोई स्थान न रहा पीड़ा मुझे सताने लगी... मेरी आँखों में आँसू भी न रहने दिया. हार गया जीवन में .... सबसे दूर ...सबको पार... मेरा लोक अलग हो गया. दुनिया से मेरा बंधन टूट गया. कमरे से बाहर आने का मन नहीं लगता.. चिंतन-मनन जाति-धर्म का... मानव जीवन का... नरक का द्वार दिखा दिया. भगवान का दर्शन पाने .. जप-तप शुरू किया.. हताश-बेहोश होता गया.. मन के विकार ..रूप धारण किया.. भगवान को देखने लगा.. सबको पागलपन दिखाई दिया. अस्पताल में चिकित्सा.. फिर से जिंदगानी शुरू हुई. अभी भी..मुझे जाति-धर्म,वित्त की असमानता... अपहास्य करता है... तुम्हारा जीवन यही है . तुम्हारा जीवन यही है.