शूद्र एवं दलितों को पुजारी का शिक्षण ।
शूद्र एवं दलितों को पुजारी का शिक्षण । बहुत बडी रोमांचकारी चर्चा कल एम.टी.वी.के माध्यम से (तेलुगु भाषा में ) देखने का सुअवसर प्राप्त है इसके लिए उन सब को धन्यवाद । विषय यह है कि दलितों एवं शूद्रों को भी देवालयों में पुरोहित बनाने का निर्णय लेने की दिशा में आँध्रप्रदेश सरकार एवं तिरूमल तिरूपति देवस्थान् की ओर से योजना रच रही है । इसकेलिए दलितों वं शूद्रों को छ महीने प्रशिक्षण देने के विषय में कदम ले रही है । इस चर्चा में ब्राह्मण एवं दलित वर्ग के नेतागण जन विज्ञान के लोग शामिल हुए हैं । सबने इस निर्णय का स्वागत करते हुए अपनी जाति की रक्षा की दिशा में बातें की हैं । संस्कृत विद्यापीठ के आचार्य श्री राघवाचारी जी संस्कारों की आवश्यकता पर बल दिया है । उ न्होनें ने कहा पुरोहित का काम संस्कार पर स्थित होने के कारण छ: महीने का पुरोहित शिक्षण पर्याप्त नहीं होता है । यह प्रशिक्षण आठ साल से शुरू होकर 21 वाँ वर्ष तक चलनेवाली प्रक्रिया माना है । 80 संस्कारों को सीखना पडता है । संस्कृत भाषा सीखनी पडती है । संस्कृत भाषा सीखने से संस्कारवान