मूवमेंट कहानी
डॉ.जयप्रकाश कर्दम की मूवमेंट कहानी दलित नायकों एवं अपने परिवार को नयी
चेतना देनेवाली है। इसमें बाबा साहब अंबेडकर तथा माता रमाबाई के त्याग का
गुणगान अवश्य दलितों में चेतावनी लायेगी।अपने समाज के हित में जुड जाने का
कर्तव्य बोध होगा।
कहानी में नायक अपनी पत्नी सुनीता से कहता है -"यदि बाबा साहब अंबेडकर अपने जीवन का समाज केलिए त्याग नहीँ किया होता और माता रमाबाई ने उनको पूरा सहयोग नहीं किया होता तो हमारा समाज आज भी उसी स्थिति में होता जिस स्थिति में सौ साल पहले था।"
सभी में समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना नहीं होती है। जो पढे-लिखे हैं,समाजिक चिंतन में हैं ,समाज को दिशा दिखाने केलिए ललायित हैं वे ही लोग अवश्य कदम उठानी है।अगर ऐसा न हो तो समाज के पतन का कारण वही हो सकता है।
साथ ही अपने परिवार को संभालना उसका धर्म है।
परिवार के लोग भी उस तरह के नायकों की गतिविधियों को समझना तथा सहयोग देना पडता है।
लोकासमस्ता सुगिनोभवंतु।
कहानी में नायक अपनी पत्नी सुनीता से कहता है -"यदि बाबा साहब अंबेडकर अपने जीवन का समाज केलिए त्याग नहीँ किया होता और माता रमाबाई ने उनको पूरा सहयोग नहीं किया होता तो हमारा समाज आज भी उसी स्थिति में होता जिस स्थिति में सौ साल पहले था।"
सभी में समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना नहीं होती है। जो पढे-लिखे हैं,समाजिक चिंतन में हैं ,समाज को दिशा दिखाने केलिए ललायित हैं वे ही लोग अवश्य कदम उठानी है।अगर ऐसा न हो तो समाज के पतन का कारण वही हो सकता है।
साथ ही अपने परिवार को संभालना उसका धर्म है।
परिवार के लोग भी उस तरह के नायकों की गतिविधियों को समझना तथा सहयोग देना पडता है।
लोकासमस्ता सुगिनोभवंतु।
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