खडा मैं बाजार में...
खडा मैं बाजार में...
खडा मैं बाजार में...
आज मेरे हाथ में
तुम्हारे कपडे नहीं
मैले धोने का....।
तुम्हारे कपडे नहीं
मैले धोने का....।
भूला कभी नहीं,
मुझे याद है हमेशा..
नीचे दबा हुआ जाति है मेरा ।
भूलेगा कैसे ..?
जो पीडा दिया तुमने
हजारों सालों से..
आज वह सहने तैयार नहीं ।
मुझे याद है हमेशा..
नीचे दबा हुआ जाति है मेरा ।
भूलेगा कैसे ..?
जो पीडा दिया तुमने
हजारों सालों से..
आज वह सहने तैयार नहीं ।
वह हमारी अंदर की
पीडा
सुलगाती आग बनकर
जाति को जलाने आयी
दलित अस्मित बचाने में
मानवता के साथ हाथ बँटाने
नस-नस की शक्ति बटोरकर आयी..।
सुलगाती आग बनकर
जाति को जलाने आयी
दलित अस्मित बचाने में
मानवता के साथ हाथ बँटाने
नस-नस की शक्ति बटोरकर आयी..।
स्याही भरी कलम लेकर
वर्ण-जाति के
तुम्हारे अंदर की
मलिनता साफ कर
मनुष्यता को याद दिलाने
सबके सामने
खडा मैं बाजार में...।
वर्ण-जाति के
तुम्हारे अंदर की
मलिनता साफ कर
मनुष्यता को याद दिलाने
सबके सामने
खडा मैं बाजार में...।
समाधान दोगे इसका..?
तुम्हारे बुद्धि बल से ..!
कुचलोगे इसे..?
कुटिल-कुत्सित तंत्र से..!!
दलित के अंदर की दबी हुई आशाएँ..
अपने अंदर छिपी आकाँक्षाएँ
आँसू की बिंदुओं में..
जो मैंने खोदकर देखा ..!
वह हमारे जीवन का सच ,
तुम्हारे धोखेबाजी का दस्तवेज है ।
तुम्हारे बुद्धि बल से ..!
कुचलोगे इसे..?
कुटिल-कुत्सित तंत्र से..!!
दलित के अंदर की दबी हुई आशाएँ..
अपने अंदर छिपी आकाँक्षाएँ
आँसू की बिंदुओं में..
जो मैंने खोदकर देखा ..!
वह हमारे जीवन का सच ,
तुम्हारे धोखेबाजी का दस्तवेज है ।
Comments
Post a Comment