मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ
मैं कलमवाला हूँ ,
मेरे अंदर चलन है ।
चुप्पी बैठू कैसे
कलम का गला हूँ,
ऊँची आवाज मेरा है।
कोई भूखा न रहें,
शोषण का शिकार कोई न होवें ।
न हों किसीका अमानवीय अत्याचार ,
अश्रुमय जिंदगी ।
मनुष्य मनुष्य के रूप में देखनी है
न कि जंतु ,जात पांतु के भेद से।
सम समाज की चिंतन में
सबका समादर चाहते
लोक की पीडा से समेटते हुए
चिल्लाता हूँ मैं
मेरे दलित जीवन का
आक्रोश दिखाता हूँ मैं ।
मैं कलमवाला हूँ
स्वार्थी का तलवार नहीं
अहिंसा के पथ पर
बाबा साहब के मार्ग पर
चलता हूँ मैं ।
मेरे अंदर चलन है ।
चुप्पी बैठू कैसे
कलम का गला हूँ,
ऊँची आवाज मेरा है।
कोई भूखा न रहें,
शोषण का शिकार कोई न होवें ।
न हों किसीका अमानवीय अत्याचार ,
अश्रुमय जिंदगी ।
मनुष्य मनुष्य के रूप में देखनी है
न कि जंतु ,जात पांतु के भेद से।
सम समाज की चिंतन में
सबका समादर चाहते
लोक की पीडा से समेटते हुए
चिल्लाता हूँ मैं
मेरे दलित जीवन का
आक्रोश दिखाता हूँ मैं ।
मैं कलमवाला हूँ
स्वार्थी का तलवार नहीं
अहिंसा के पथ पर
बाबा साहब के मार्ग पर
चलता हूँ मैं ।
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