मैं कौन हूँ

मैं कौन हूँ

मैं कौन हूँ
आठों पहर ,चौबीस घंटे..
समाज चिंतन में
बेहतर जीवन की कल्पना में
अंध विश्वासों पर अंकुश लगाते
मानवता को बचाते ..
राह खोये लोगों का
पथ प्रदर्शन करते ,तथ्य दीप जलाते
चार दीवारों के अंदर बैठे
जो महान हमारे सामने,
अखंड ज्योति है,शक्ति पुंज है
मैं उसी जाति का हूँ ।
कागज- कलम उनका
पुस्तक ही साथी है
सच्चे व्यवसायी ..
आखरी सांस में भी
लोक कल्याण की कामना में
अपने को अंकित करता
जीवन -मर्मयोगी
मानव नहीं, अवतारी कहे
तालियाँ प्रिय ,शब्द संचारी
अनेक नामधारी ..
कवि कहे ,लेखक कहे
वो जगदाकारी है
उसी का अंग हूँ मैं ।

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