मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ
मैं हितकारी चिंतन हूँ
मेरे हाथ में ये पुस्तकें
चलते कलमी अटपटी कदम
साहित्य की साधना
जीवन की खोज है मेरी ।
मेरे हाथ में ये पुस्तकें
चलते कलमी अटपटी कदम
साहित्य की साधना
जीवन की खोज है मेरी ।
मैं सामाजिक सोच हूँ
मन नहीं इधर-उधर चलने का
किसी से मिलने का
मन बहलाने का,
परिश्रमी हूँ मैं ।
मैं सुलगता आग हूँ
वो दलित जीवन का
मेरे जीवन के कटु अनुभव का
याद दिलाये हैं कर्दम जी ।
बडों के आशीर्वाद के बल से
नवोन्मेष से
आगे बढा मैं
साहित्य क्षेत्र में
खेती करने का ।
सरलता,सहजता..
सीखने की ललक ...देख
स्वागत मिला यहाँ मुझे ।
मैं अर्पण का अंकुर हूँ
आशा नहीं कभी कहीं भी
मान -सम्मान का
स्तुति -प्रशंसा का ।
असलियत की ओर
मेरी निगाह चलती
हरपल तथ्य खोजती है।
मैं दलित जीवन हूँ
स्वार्थ के विरोध में
सचाई पर खडे होते
मानवता धर्म के
पक्षधर हूँ मैं ।
मैं सामाजिक प्राणी हूँ
हिंसक जंतु नहीं,
शेर के पंजे नहीं,
घात -प्रतिघात करना नहीं,
ममता-समता का
मानवतावादी हूँ मैं ।
मैं जाति प्रथा का विरोधी हूँ
जाति-धर्म के नाम पर
वर्ण व्यवस्था के संप्रदाय पर
किसी को धोखा देना नहीं
किसी को धोखा खाना नहीं
कलम के अक्षरों में
अन्याय पर ऊँगली उठाते
शोषण के खिलाफ लडते
पीडा को झेलता हूँ मैं ।
मन नहीं इधर-उधर चलने का
किसी से मिलने का
मन बहलाने का,
परिश्रमी हूँ मैं ।
मैं सुलगता आग हूँ
वो दलित जीवन का
मेरे जीवन के कटु अनुभव का
याद दिलाये हैं कर्दम जी ।
बडों के आशीर्वाद के बल से
नवोन्मेष से
आगे बढा मैं
साहित्य क्षेत्र में
खेती करने का ।
सरलता,सहजता..
सीखने की ललक ...देख
स्वागत मिला यहाँ मुझे ।
मैं अर्पण का अंकुर हूँ
आशा नहीं कभी कहीं भी
मान -सम्मान का
स्तुति -प्रशंसा का ।
असलियत की ओर
मेरी निगाह चलती
हरपल तथ्य खोजती है।
मैं दलित जीवन हूँ
स्वार्थ के विरोध में
सचाई पर खडे होते
मानवता धर्म के
पक्षधर हूँ मैं ।
मैं सामाजिक प्राणी हूँ
हिंसक जंतु नहीं,
शेर के पंजे नहीं,
घात -प्रतिघात करना नहीं,
ममता-समता का
मानवतावादी हूँ मैं ।
मैं जाति प्रथा का विरोधी हूँ
जाति-धर्म के नाम पर
वर्ण व्यवस्था के संप्रदाय पर
किसी को धोखा देना नहीं
किसी को धोखा खाना नहीं
कलम के अक्षरों में
अन्याय पर ऊँगली उठाते
शोषण के खिलाफ लडते
पीडा को झेलता हूँ मैं ।
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